
क्यूँ इतने बेगैरत हो गए हम, क्यूँ भूले अपना मान हैं
क्यूँ अक्सर व्यंग से कहते, 'मेरा भारत महान है'
हाँ, महान है भारत मेरा, इसके लिए कितनो ने खून बहाए
लाखों कुर्बानियां दी, तभी आज खुली सांस ले पाए
आज भी हम करोडों भारतीय, देश के लिए जी मर रहे
ज़मीं से लेके आसमान तक, हम अपनी लड़ाई लड़ रहे
आज भी हम भारतीय तैनात हैं, सामाजिक और भूगोलिक सीमायों पर
असर डाले जा रहे हम, आसमानों पर आत्मायों पर
दुनिया को सेहत का पाठ पड़ाते, भाव से जीना सिखाते
तकनीकी और विज्ञान के क्षेत्र में, आगे आगे हम बड़ते जाते
दुनिया में ख़ास मुकाम हमारा, 'जय भारत' का गूंजे नारा
इस माँ के सचे सपूतों ने, चाँद पर लिखा भारत प्यारा
दुनिया देखे और सब समझे, की हम कितने महान हैं
पर कुछ अपने घर के भेदी, इस मान को देते नुक्सान हैं
कुछ की संकुचित सोच के पीछे, खुद को घटिया कहने लगे
कुछ की संकुचित सोच के पीछे, खुद को घटिया कहने लगे
यहाँ ये बुराई वोह बुराई, हमही ढिढोरा पीटने लगे
क्यूँ उन भटके लोगों के पीछे, अपने देश को बुरा कहें हम
क्यूँ बदहाली का रोना रोयें, क्यूँ खुद को ही कोसा करें हम
हमको साथ निभाना होगा, उन सचे देश सिपाहियों का
क्यूँ उन भटके लोगों के पीछे, अपने देश को बुरा कहें हम
क्यूँ बदहाली का रोना रोयें, क्यूँ खुद को ही कोसा करें हम
हमको साथ निभाना होगा, उन सचे देश सिपाहियों का
उनके देश प्रेम और भक्ति का, उनकी अनथक मेहनतों का
हम सबको मिलकर करना होगा, अपने देश की खातिर काम
आओ हम सब गर्व से बोलें, 'मेरा भारत महान'
हम सबको मिलकर करना होगा, अपने देश की खातिर काम
आओ हम सब गर्व से बोलें, 'मेरा भारत महान'
bahut hee badiya likha hai. Dil khush ho gaya padhkar. Asse hee likhte raho.
ReplyDelete